Sunday, 21 October 2018

धनौरा ड्रेन ओवरफ्लो होने से पुल पर भरा पानी

गढ़पुर टापू के ग्रामीणों ने जताया रोष, की नारेबाजी

पुल को ऊंचा करने की उठाई मांग

इन्द्री, 20 अक्तूबर (गुंजन कैहरबा)

उपमंडल के गांव गढ़पुर टापू के पास धनौरा ड्रेन का पानी अक्सर ओवरफ्लो हो जाता है और पानी में पुल डूब जाता है। इससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गत दिन ड्रेन में पानी छोड़े जाने से पुल डूब गया और आस-पास पानी फैल गया तो लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा। किसानों ने डूबे हुए पुल पर जमा होकर प्रशासन के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया व जमकर नारेबाजी की गई। ग्रामीणों ने पुल का लेवल ऊंचा उठाए जाने की मांग उठाई है।

ग्रामीण चंद्र दत्त, खालिद, मनीष, सोनू, नूर हसन, सोलु, सुसविन्दर, नवल, मेहरूप, गुलशन, आशु का कहना है कि पुल का लेवल काफी नीचे जा चुका है जिस कारण डे्रन में पानी आते ही पुल पानी में डूब जाता है। मजबूरी में उनको डूबे हुए पुल को खतरा मोल लेकर पार करना पड़ता है। लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। लोगों ने सरकार से पुल को ऊंचा उठाने की मांग करते हुए कहा कि इस रास्ते से चंद्रांव, चोगावां, गढ़ी बीरबल, लबकरी, मुसेपुर, समसपुर, कलसौरा, गढ़पुर टापू आदि गांवों के लोग गुजरते हैं और किसान अपनी फसल लेकर इसी रास्ते से होकर आते जाते हैं। ऐसे में पुल पर पानी जब भी आता है तो इस रास्ते से  जान का खतरा उठाकर फसल को लाना ले जाना होता है। बारिश के दिनों में तो यहां हालात बहुत ही ज्यादा खराब हो जाते हैं। क्योंकि डे्रन पानी से पूरी भरी होती है और पुल भी पूरा डूबा होता है। लोग बस अंदाजे से ही पुल पार करते हैं। इस रास्ते पर लोगों के खेत भी हैं। इसलिए दिनरात का आनाजाना होता है। अंधेरे में तो पुल पार करते हुए नीचे ड्रेन में गिरने का भी खतरा बना रहता है।   
ड्रेन में रसायनयुक्त पानी छोड़े जाने का भी किया विरोध-
ग्रामीणों ने बताया कि ड्रेन में यमुनानगर की फैक्ट्रियों का पानी छोड़े जाने का लोग लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। लेकिन इस समस्या से आज तक निजात  नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि रसायनयुक्त पानी से सारे माहौल में दुर्गन्ध फैली रहती है। लेकिन पुल पर गुजरते गंदे पानी से गुजरने की मजबूरी के कारण भी कईं लोग एलर्जी व दाद, खाज खुजली जैसी बिमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
क्या कहते हैं कार्यकारी अभियंता-
सिंचाई विभाग के एक्सईएन मनीष शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ड्रेन पर बनाए गए पुल काजवे हैं। वे नीचे ही बनाए जाते हैं ताकि पानी नीचे से गुजर जाए और ज्यादा आने पर ऊपर से गुजर जाए। गढ़पुर टापू की स्थिति से अवगत नहीं हैं, वहां जाकर ही स्थिति के बारे में बताया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वे मौके पर पहुंच कर मुआयना करेंगे।

Saturday, 20 October 2018

जर्मनी में हिन्दी व भारतीय कलाओं के प्रसार में जुटे राहुल कुमार

काउंसलर इन्द्री में हुआ जोरदार स्वागत

इन्द्री, 19 अक्तूबर (गुंजन कैहरबा)

जर्मनी में स्टेट काउंसलर बनने वाले भारतीय मूल के पहले युवा राहुल कुमार का स्थानीय निरंकारी भवन में जोरदार स्वागत किया गया। काउंसलर के साथ-साथ राहुल जर्मनी में फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी के फ्रेंकफर्ट अध्यक्ष भी हैं। उनके साथ केएफके के चेयरमैन राजकुमार, बेला फेराज व डिंपल भी थे। निरंकारी मंडल के स्थानीय मुखी संजय बजाज, राजेन्द्र सांतड़ी, मा. ओमप्रकाश, हरपाल, ईश्वरदयाल, अंजू, मोहन लाल, दिलीप, गुलाब सिंह, निर्मला, संजना, प्रियंका, रीटा, संतोष, सुरेन्द्र, राज कुमार, धर्मपाल सहित अनेक श्रद्धालुओं ने फूलमालाओं के साथ उनका स्वागत किया।
राहुल कुमार ने बताया कि वे आठ महीने के थे, जब अपने पिता राज कुमार के साथ जर्मनी चले गए थे। बीच में वे फिर भारत आए, जिस कारण उन्हें हिन्दी बोलने और समझने में दिक्कत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय मूल का होने पर उन्हें गर्व है। उन्होंने कहा कि जर्मनी सहित यूरोप के देशों में भारतीयों की बड़ी आबादी है। लेकिन आपस में तालमेल की कमी है। वे यूरोप में भारतीयों को संगठित करने और भारत को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं। भारत की संस्कृति का दुनिया में अहम स्थान है। जर्मनी में भारतीय संगीत व कलाओं को मंच देने के लिए भी वेे कोशिशें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जर्मनी में हिन्दी भाषा के फैलाव के लिए भी कोशिशें करेंगे। उन्होंने कहा कि जर्मनी और भारत के सांस्कृतिक आदान-प्रदान में दोनों देशों की भलाई है। जब उनसे भारत और जर्मनी की शिक्षा व्यवस्था के अंतर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जर्मनी में बच्चों की शिक्षा की सरकार द्वारा पूरी जिम्मेदारी ली जाती है। दसवीं के बाद जर्मनी में विद्यार्थियों के लिए उनकी रूचि के अनुसार विकल्प लेने के अनेक अवसर होते हैं। जर्मनी की शिक्षा से भारत बहुत कुछ सीख सकता है।
हरियाणा में बच्चों की शिक्षा के लिए काम करेगी केएफके-
जर्मनी में बच्चों की शिक्षा के लिए मदद कर रही केएफके चेयरमैन राज कुमार ने बताया कि जर्मनी के बाद उनकी संस्था हरियाणा में भी काम करेगी और जरूरतमंद प्रतिभावान बच्चों को मदद दी जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना हम तरक्की नहीं कर सकते। शिक्षा की बदौलत ही वे जर्मनी जा पाए और वहां की राजनीति व समाज में एक स्थान बनाया।